चतुर्थ परिच्छेद
चतुर्थ परिच्छेद
दो
पेग व्हिस्की लेने के बाद देशमुख को लगने लगा, उसका
झगड़ा खत्म नहीं हुआ। नशा हो गया क्या? दो पेग पर्याप्त होते थे देशमुख के लिए। उससे ज्यादा
पीने पर उसको खूब हल्का लगने लगता है। कभी-कभी उलटी भी कर देता था वह।
अनीता
अभी भी इधर-उधर घूम रही होगी या शायद आ गई होगी क्या? कुछ
समय पहले फ्रिज से सोड़ा, आइस क्यूब और व्हिस्की की बोतल बाहर निकालते हुए
नौकरानी से कहते हुए सुना था, आज लेडीज
क्लब की मीटिंग है। बहुत घूमती है, मगर अनीता। घूमो... इस कोयले की खदान के आफिसर्स
कॉलोनी में और क्या जीवन है? फील्ड, प्रोजेक्ट, ऑफिस और दौड़-भाग करने वाले देशमुख को जीवन कभी-कभी
बोरिंग लगने लगता था, और
चारदीवारी के भीतर रहने वाली अनीता को नहीं लगेगा?
देशमुख
के हाथ से दूसरा पेग भी खत्म हो गया। नशा अच्छी तरह नहीं हुआ था। और एक पेग लेना
चाहिए? नौकरानी
को उसने कह दिया- किसी को भी सीधे इस घर में मत आने देना। अनीता की सहेलियाँ आने
पर तो बिलकुल नहीं। घर के दरवाजे बंद रखना। समय क्या हुआ है? टी.वी
पर नेशनल प्रोग्राम जारी हो गया होगा? ड्राइंग रूम में जाकर बैठेगा देशमुख?
घर पर
अनीता नहीं होने पर, किस
तरह खाली-खाली लगने लगता है। बुछू, सेंट्रल स्कूल की आठवीं कक्षा में पढ़नेवाली उसकी
बेटी कहाँ है? टी.वी
के पास बैठ कर पढ़ तो नहीं रही है? नहीं, उसकी माँ के साथ बुछू गई हुई है। अनीता का भयंकर
रेसट्रिक्शन है, पीकर
बुछू के पास जाने का।
जबकि
यह बंगला खाली-खाली लग रहा है। एकदम एकांकी लग रहा था देशमुख को। नौकरानी किचन में
खट-पट कर रही थी। और देशमुख स्टोर घर में, टिन
का बॉक्स, पुराने
डालडा के डिब्बे ट्रंक, लकड़ी की पेटी, बांध
कर रखे हुए खस-खस के परदे और अब उपयोग में नहीं आने वाले कूलर और बुछू की टूटी
साइकिल के भंगार के अंदर गोदरेज चेयर और छोटा स्टूल लेकर बैठा हुआ था। और पेग लेगा
क्या देशमुख?
अनीता
को बहुत गर्व अपने पति पर, मैनेजर ई-फोर ग्रेड एग्जिक्यूटिव, बहुत
ही जल्दी ई-फाइव ग्रेड़ में प्रमोशन होगा। कोयले की खदान का वह कर्त्ता-धर्ता
विधाता। जनरल मैनेजर, दो
तीन डिप्टी चीफ माइनिंग इंजिनियर और स्टॉफ ऑफिसर को छोड़ने के बाद देशमुख ही सबसे
ज्यादा सीनियर। साधारण ई-वन, ई-टू एग्जिक्यूटिवों, डाक्टरों
और इंजिनियरों की पत्नियाँ अनीता को ईर्ष्या की दृष्टि से देखती हैं, सुन
रखा था देशमुख ने अपनी पत्नी से। लेड़ीज
क्लब में, पतियों
के डिजिगनेशन के अनुसार पत्नियों के सम्मानार्थ कुर्सियां सजाने की बात से शुरू कर
उनके मन की अंतरंग बातें, घर का खर्च, नौकर-नौकरानी के प्रति किस ऑफिसर की पत्नी का कैसा
व्यवहार-सारी बातें सुन रखी थी देशमुख ने अनीता से।
मगर
उस अनीता को कहां पता था, कि देशमुख वास्तव में बहुत ही असहाय क्रीतदास है? उसे
क्या पता था, डिप्टी
चीफ माईनिंग इंजिनियर के सामने उसकी कितनी दयनीय अवस्था है? कितना
अपमान और डांट-फटकार सुननी पड़ती है, देशमुख को, डिप्टी॰सी॰एम॰ई॰ के पास? काश
वह एक साधारण लेडी अथवा क्लर्क होता तो ज्यादा सुखी रहता। जिनका कोई दायित्व नहीं, किसी
के प्रति जवाबदेही का प्रश्न नहीं। अपने ई॰ई॰आर॰(एग्जीक्यूटिव इप्लेयूशन रिपोर्ट)
का डर नहीं?
आज
डिप्टी सी॰एम॰ई॰ मि.मिश्रा की डांट-फटकार उसे याद आ गई। उनकी पत्नी के प्रति कभी
अनीता ने खराब व्यवहार किया था।लेडीज क्लब एग्जीक्यूटिव बॉडी मीटिंग में अनीता ने
रोटरी क्लॉब द्वारा आयोजित आंखों के ऑपरेशन केन्द्र का बॉयकाट करने का फैसला लिया
था, क्योंकि
रोटरी क्लब वालों ने लेडीज क्लब को फॉर्मल इंविटेशन भी नहीं दिया था। इसके अलावा, पिछली
बार भी आँखों के ऑपरेशन वाले कार्यक्रम के समय लेडीज क्लब की सदस्याओं के प्रति
रोटेरियन पत्नियों का व्यवहार अच्छा नहीं था, जबकि
देशमुख स्वयं रोटेरियन थे, मगर लेडीज क्लब की अधिकांश सदस्याओं के पति रोटेरियन
नहीं थे।
लेडीज
क्लब की सक्रेटरी थी अनीता और मिसेस डिप्टी सी.एम.ई. वाइस-प्रेसीडेंट। मिसेस
जी.एम.प्रेसीडेंट। एग्जीक्यूटिव बॉडी मीटींग में जो प्रस्ताव पास किया गया- वह
किया गया था मिसेस मिश्रा की बिना किसी अनुमति और अनुपस्थिति में। अब वह मि.मिश्रा
को क्या जबाव देगा ? जो भी
हो, मिस्टर
मिश्रा थे दायित्व सम्पन्न रोटेरियन और आंखों के ऑपरेशन केन्द्र का कार्यक्रम उनके
प्रयास और कहने पर ही किया जा रहा था।
देशमुख
जानता है, लेडीज
क्लब का मामला पूरी तरह से लेडीज लोगों का मामला है और इसमें सिर खपाना उचित नहीं
है। मगर डिप्टी सी.एम.ई. का सोचना है, कि देशमुख ने उसका अपमान करने के लिए अपनी पत्नी के
माध्यम से यह प्रस्ताव लाया है। देशमुख कहेगा क्या अनीता को, इस
प्रस्ताव को बदलने के लिए? नहीं, देशमुख कभी भी इस छोटी-सी बात के लिए नहीं कहेगा
अनीता को। अनीता को यह कहने का मतलब होगा, उसके
सामने अपनी अक्षमता को जाहिर करना, कि देख मैं डिप्टी सी.एम.ई. की कितनी चमचागिरी करता
हूं।
हाँ, डिप्टी
सी.एम.ई. इज योर बॉस, नॉट
माइन। वाई शुड आई विश हिम? पहली बार किसी पार्टी में डिप्टी सी.एम.ई को देख कर
देशमुख ने अनीता को नमस्कार करने के लिए कहने पर भनभना रही थी गुस्से में वह। उस
पहले दिन से ही डिप्टी सी.एम.ई का अच्छा इम्प्रेशन नहीं है अनीता के ऊपर, उसके
मत में, उसकी
पर्सनलिटी नहीं है। औरतों को देखते ही किस तरह अशांत निगाहों से टुकरने लगता है वह, मिसेज
के कहने पर उठता-बैठता है स्त्रैण कहीं का!
देशमुख
समझ नहीं पा रहा था, महिला
मण्डल में होने वाली सारी घटनाओं को खुद डिप्टी सी.एम.ई. क्यों इतना महत्व देते
हैं? आज की
घटना को लेकर अपने चेम्बर में बुलाकर डांटा-फटकारा। पास में चपरासी भी खड़ा था।
लेबर ऑफिसर गुप्ता, डीलिंग
एसिस्टेंट रुंगटा, स्टेनो
महापात्र, सभी
के सामने मि.मिश्रा ने उसे फटकारा, उत्तेजनापूर्वक कठोर शब्दों में। देशमुख ने विरोध
करना चाहा, मगर
नहीं कर पाया।
देशमुख
ने एक पेग और व्हिस्की उड़ेली। यह आखिरी बोतल। इस महीने कुछ ज्यादा ही पी रहा है
क्या देशमुख ने? इस
महीने का कोटा क्या बीस तारीख तक ही खत्म हो जाएगा? अनीता
और पैसे नहीं देगी व्हिस्की खरीदने के लिए। एक महीने में शराब के लिए बजट है दो सौ
रुपए। अनीता हर समय सतर्क नजरों से देखती है कि कैसे भी हो दो सौ से ज्यादा रुपए
खर्च नहीं हो शराब के बाबत में। उसके अलावा बुछू भी बड़ी हो रही है। कुछ समझना
पड़ेगा। देशमुख अवश्य पीने के बाद कभी भी बुझू के सामने नहीं जाता है। फिर भी बुछू
कैसे एवाइड करती है, पीने
के समय।
देशमुख
को अस्थिर लगने लगा। अनीता कहाँ गई, सो गई। कहाँ चली गई? नौकरानी
किचन के अंदर। बुछू और देशमुख के भीतर एक म्युचुअल इग्नोरेंस। इतना बड़ा घर खाली
खाली लगने लगता है। देशमुख बाहर आ गया घर के अंदर से। ठंड धीरे-धीरे बढ़ने लगी।
नौकरानी से उसने अपना स्वेटर मांगा, उसका मन ठीक नहीं था। मि.मिश्रा ने आज उसको अभद्र
तरीके से फटकारा था। अनीता को कहेगा क्या देशमुख? नहीं, नहीं
कहेगा। कह भी नहीं पाएगा। अनीता के मन के भीतर देशमुख की जो इमेज है, बरकरार
रहने दी जाए। अनीता सोचती है जैसे देशमुख इस पारवाहर खदान अंचल का मालिक हो। सोचने दो सोचने दो।
देशमुख
थोड़ा बाहर जाएगा क्या? घुमकर आएगा? गैरेज से गाड़ी बाहर निकालेगा क्या? नहीं, ये
सारे भयंकर झमेले। गैरेज की चाबी अनीता ने कहां रखी होगी, खोजना
मुश्किल। इसके अलावा, अब
गाड़ी स्टार्ट नहीं होगी हठात। मन और खराब हो गया था. एक्सचेंज को फोन करके कहेगा
कि 5498 जीप
भेजने के लिए? ड्राइवर
कौन होगा? रामावतार
या कालिदास?
5498 जीप
है देशमुख की। यह भी पुरानी। आगे यह मि.मिश्रा की थी। दो नई जीपें आने पर एक
मि.मिश्रा ने रख ली और दूसरी को चिंगरीगुड़ा इन्क्लाइन कोलियरी मैनेजर/सुपरिटेण्डेट ऑफ
माइन्स मि.घोष को दे दी। फिर तुम्हारे हिस्से में पुरानी जीप क्यों? मि.घोष
को मिलेगी नई जीप, मि.मिश्रा
के लिए नई जीप और तुम्हारे पास 5498 पुरानी जीप क्यों?
अनीता
ने उसी समय बिना प्रशय दिए धमकाया था देशमुख को। ऑफिसियल मैटर में सिर मत खपाओ तो।
औरतों को औरतों की तरह रहना चाहिए। भले ही अनीता को धमकाया हो, मगर
देशमुख आहत अपमानित नहीं हुआ था क्या मि.मिश्रा के इस व्यवहार से?
ड्राइंग
रूम में फोन पड़ा हुआ है। बुछू वहां बैठी हुई है, टी.वी
देख रही है। जाएगा क्या देशमुख ड्राइंगरूम में? बुछू
को क्या महक आ जाएगी? आहा, जैसे
बुछू नहीं जानती हो देशमुख की पीने की आदत। जानती है, जानती
है। उसकी बुद्धि बढ़ रही है। बहुत कुछ बातें वह समझ जाती है। देशमुख को अब अपने
आपको कण्ट्रोल में रखना चाहिए। बुछू कहीं शराबी सोचकर अपने पिता से घृणा करने न लग
जाए।
देशमुख
ड्राइंग रुम में नहीं गया। बाहर आकर बगीचे में खड़ा हो गया। अनीता कहां चली गई? अभी
तक लौटी नहीं वह? आज अब
तक चन्द्रमा क्यों नहीं उदय हो रहा है? इस लाइन में स्ट्रीट लाइन क्यों नहीं जल रही है? कौन
इलेक्ट्रिशियन है चार्ज में? कल वर्कशाप के इलेक्ट्रिशियन को बुलाकर फटकारना होगा।
देशमुख
अंधेरे के भीतर खड़ा रहा। महाराष्ट्र के मराठावाड़ा अंचल में एक छोटा, बहुत
छोटा शहर है जालना। अनुन्नत, अशिक्षित बस्ती में देशमुख का बचपन और यौवन बीता।
औरंगाबाद से बड़ा शहर नहीं देखा था उसने मैट्रिक पास करते समय तक। कभी भी शिवसेना, दलित
पंथ अथवा कांग्रेस की राजनीति में घुसा नहीं था वह। बहुत ब्रिलिएन्ट लड़का था
देशमुख, मराठावाड़ा
विश्वविद्यालय में।
अंधेरे
में खड़ा देशमुख सोचने लगा, जैसे उसने जीवन में बहुत बड़ी गलती की हो। देशमुख का
इस तरह अपंतरा अपांडव देश की पारवाहर
कोलियरी में जीवन जीना उचित नहीं था। मैट्रिक पढ़ते समय देशमुख ने सपना देखा था
मुम्बई का। जबकि उसने मुम्बई में कभी भी अच्छी तरीके से एक वर्ष तो क्या एक महीना
भी नहीं बिताया था। तब कौनसी गलती की है उसने यहां आकर? तब
क्या उसे कहीं और रहना था, दूसरे तरीके से? कहाँ
रहना चाहता था देशमुख? किस
तरीके से? मुम्बई
में? तब
क्या उसे इतने पैसे और गाड़ी सभी मिल पाती देशमुख को? उसका
मन बहुत उदास हो गया। उसे लगने लगा कि इसी समय अगर मृत्यु भी आकर उसके सामने खड़ी
हो जाएगी तो वह विचलित नहीं होगा। वह निर्विकार भाव से मृत्यु की चपेट में चला
जाएगा- जैसे कि वह सोने जा रहा हो।
उसके
मन में याद हो आया मि.मिश्रा का गाली देते हुए चेहरा। किसी दिन पीठ पीछे गोली
दागने पर कैसे लगेगा जोरू के गुलाम को। सोचने लगा और उसके मन में आया-नहीं, नशा
बहुत चढ़ गया है। इसके बाद कुछ कण्ट्रोल करना पड़ेगा खुद को।
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